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ऐ दिल इस का तुझे अंदाज़-ए-सुख़न याद नहीं | शाही शायरी
ai dil is ka tujhe andaz-e-suKHan yaad nahin

ग़ज़ल

ऐ दिल इस का तुझे अंदाज़-ए-सुख़न याद नहीं

रशीद रामपुरी

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ऐ दिल इस का तुझे अंदाज़-ए-सुख़न याद नहीं
वो फिरी आँख वो माथे की शिकन याद नहीं

क़ैद-ए-सय्याद में जब से हूँ चमन याद नहीं
दोस्त हैं अहल-ए-क़फ़स अहल-ए-वतन याद नहीं

हिज्र में दिल के हमें दाग़-ए-कुहन याद नहीं
मुस्कुराते हुए फूलों का चमन याद नहीं

वो ख़ुनुक चाँदनी रातें वो फ़ज़ा आप और मैं
और वादे वो लब-ए-गंग-ओ-जमन याद नहीं

मैं वो नाकाम मुसाफ़िर हूँ जहाँ में जिस को
शाम-ए-ग़ुर्बत के सिवा सुब्ह-ए-वतन याद नहीं

आरज़ू दोस्त की बेकार है ग़ुर्बत में 'रशीद'
आप को हालत-ए-यारान-ए-वतन याद नहीं