ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
जा चुकी है बहार चुप हो जा
अब न आएँगे रूठने वाले
दीदा-ए-अश्क-बार चुप हो जा
जा चुका कारवान-लाला-ओ-गुल
उड़ रहा है ग़ुबार चुप हो जा
छूट जाती है फूल से ख़ुश्बू
रूठ जाते हैं यार चुप हो जा
हम फ़क़ीरों का इस ज़माने में
कौन है ग़म-गुसार चुप हो जा
हादसों की न आँख खुल जाए
हसरत-ए-सोगवार चुप हो जा
गीत की ज़र्ब से भी ऐ 'साग़र'
टूट जाते हैं तार चुप हो जा
ग़ज़ल
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
साग़र सिद्दीक़ी