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ऐ बुत हैं हुस्न में तिरी मशहूर पिंडलियाँ | शाही शायरी
ai but hain husn mein teri mashhur pinDliyan

ग़ज़ल

ऐ बुत हैं हुस्न में तिरी मशहूर पिंडलियाँ

नादिर लखनवी

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ऐ बुत हैं हुस्न में तिरी मशहूर पिंडलियाँ
ऐसी कहाँ से लाए परी हूर पिंडलियाँ

मुमकिन नहीं कि यूँ तो किसी की नज़र पड़े
खुल जाएँ नींद में तो हैं मा'ज़ूर पिंडलियाँ

बेदारियों में आईं नज़र ये तो है मुहाल
मख़्फ़ी हैं वक़्त-ए-ख़्वाब ब-दस्तूर पिंडलियाँ

ताबाँ मिसाल-ए-शम्अ हैं फ़ानूस-ए-नूर से
हर-चंद पाइचों में हैं मस्तूर पिंडलियाँ

ऐ 'नादिर' उन के हुस्न की तारीफ़ क्या लिखूँ
शम-ए-लगन से बढ़ के हैं पुर-नूर पिंडलियाँ