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अहरमन है न ख़ुदा है मिरा दिल | शाही शायरी
ahrman hai na KHuda hai mera dil

ग़ज़ल

अहरमन है न ख़ुदा है मिरा दिल

रईस अमरोहवी

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अहरमन है न ख़ुदा है मिरा दिल
हुज्रा-ए-हफ़्त-बला है मिरा दिल

महबत-ए-रूह-ए-अज़ल मेरा दिमाग़
और आसेब-ज़दा है मिरा दिल

सर झुका कर मिरे सीने से सुनो
कितनी सदियों की सदा है मिरा दिल

अजनबी-ज़ाद हूँ इस शहर में मैं
अजनबी मुझ से सिवा है मिरा दिल

आओ क़स्द-ए-सफ़र-ए-नज्द करें
राह है राह-नुमा है मिरा दिल

चंद बेनाम-ओ-निशाँ क़ब्रों का
मैं अज़ा-दार हूँ या है मिरा दिल

न तक़ाज़ा है किसी से न तलब
मुद्दआ है न दुआ है मिरा दिल

राख बन बन के उड़ी है मिरी रूह
ख़ून हो हो के बहा है मिरा दिल

पहले मैं दिल पे ख़फ़ा होता था
और अब मुझ से ख़फ़ा है मिरा दल