अगरचे रंज बड़ा दिल दुखाने वाला था
मगर मैं हँसने से कब बाज़ आने वाला था
बचा लिया मियाँ लाइट ने वक़्त पे आ कर
अंधेरा वर्ना मुझे नोच खाने वाला था
तिरा ही जिस्म कोई मो'जिज़ा न कर पाया
मैं तेरे हुस्न पे ईमान लाने वाला था
मैं पहले ऐसा नहीं था उदास गुम-सुम सा
बड़ा शरीर बड़ा मुस्कुराने वाला था
ग़ज़ल
अगरचे रंज बड़ा दिल दुखाने वाला था
मैराज नक़वी