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अगर ये चेहरा यूँही गर्द से अटा रहेगा | शाही शायरी
agar ye chehra yunhi gard se aTa rahega

ग़ज़ल

अगर ये चेहरा यूँही गर्द से अटा रहेगा

राना आमिर लियाक़त

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अगर ये चेहरा यूँही गर्द से अटा रहेगा
यहाँ के दश्त-मिज़ाजों का हौसला रहेगा

हम ऐसे ऐसे ज़मानों से हो के आए हैं
कि ख़्वाब वालों को ख़्वाबों से इक गिला रहेगा

मैं चाहता हूँ मोहब्बत में ज़ख़्म आए मुझे
मैं बच गया तो मोहब्बत में क्या मज़ा रहेगा

गिले करो कि मोहब्बत में जान पड़ जाए
गले लगो कि यूँ रोने से सिलसिला रहेगा