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अफ़्सोस कि दंदाँ का किया रिज़्क़ फ़लक ने | शाही शायरी
afsos ki dandan ka kiya rizq falak ne

ग़ज़ल

अफ़्सोस कि दंदाँ का किया रिज़्क़ फ़लक ने

मिर्ज़ा ग़ालिब

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अफ़्सोस कि दंदाँ का किया रिज़्क़ फ़लक ने
जिन लोगों की थी दर-ख़ुर-ए-अक़्द-ए-गुहर अंगुश्त

काफ़ी है निशानी तिरा छल्ले का न देना
ख़ाली मुझे दिखला के ब-वक़्त-ए-सफ़र अंगुश्त

लिखता हूँ 'असद' सोज़िश-ए-दिल से सुख़न-ए-गर्म
ता रख न सके कोई मिरे हर्फ़ पर अंगुश्त