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अदा के तौसन पर उस सनम को जो आज हम ने सवार देखा | शाही शायरी
ada ke tausan par us sanam ko jo aaj humne sawar dekha

ग़ज़ल

अदा के तौसन पर उस सनम को जो आज हम ने सवार देखा

नज़ीर अकबराबादी

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अदा के तौसन पर उस सनम को जो आज हम ने सवार देखा
तो हिलते ही टुक इनाँ के क्या क्या कुचलते सब्र-ओ-क़रार देखा

झपक पे मिज़्गाँ के जब निगह की तो उस ने इक पल में होश उड़ाया
जो चश्म-ओ-ग़मज़ा की तर्ज़ देखी तो जादू इस का शिआ'र देखा

जो देखी उस की वो तेग़-ए-अबरू तो जी को हैबत ने आन घेरा
निगह जो काकुल के दाम पर की तो दिल को इस का शिकार देखा

हिना जो हाथों में उस के देखी तो रंग दिल का हुआ अजब कुछ
कमर भी देखी तो ऐसी नाज़ुक कि हो भी इस पर निसार देखा

वो देख लेता हमारी जानिब तो इस में होती कुछ और ख़ूबी
पर उस ने हरगिज़ इधर न देखा 'नज़ीर' हम ने हज़ार देखा