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अदा-ए-हुस्न की हुस्न-ए-अदा की बात होती है | शाही शायरी
ada-e-husn ki husn-e-ada ki baat hoti hai

ग़ज़ल

अदा-ए-हुस्न की हुस्न-ए-अदा की बात होती है

ऋषि पटियालवी

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अदा-ए-हुस्न की हुस्न-ए-अदा की बात होती है
वफ़ा की आज़माइश पर जफ़ा की बात होती है

ये कैसा दौर-दौरा है क़लम-रू-ए-मोहब्बत में
बुतों का हुक्म चलता है ख़ुदा की बात होती है

कोई गुंजाइश-ए-फ़र्याद-ओ-शिकवा तक नहीं बाक़ी
ख़ता-ए-बे-गुनाही पर सज़ा की बात होती है

भर आता है दिल-ए-महरूम-ए-पुर्सिश दर्द-मंदी से
कहीं भी जब किसी दर्द-आश्ना की बात होती है

फिर उस के बा'द काम आता है जज़्बा डूब मरने का
तलातुम तक ख़ुदा-ओ-नाख़ुदा की बात होती है

दुआओं के भरोसे पर बिगड़ते काम बनते हैं
दवा बे-सूद ठहरे तो दुआ की बात होती है

'रिशी' क़ानून-ए-क़ुदरत है अमल-दारी तग़य्युर की
मक़ाम-ए-इंतिहा पर इब्तिदा की बात होती है