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अच्छे लगोगे और भी इतना किया करो | शाही शायरी
achchhe lagoge aur bhi itna kiya karo

ग़ज़ल

अच्छे लगोगे और भी इतना किया करो

तारिक़ राशीद दरवेश

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अच्छे लगोगे और भी इतना किया करो
आँखों को मेरी अपने लिए आइना करो

वअ'दे वफ़ा किए न कभी तुम ने जान-ए-जाँ
दिल फिर भी चाहता है कि वअ'दा नया करो

रह कर तुम्हारे पास भी रहता हूँ मैं कहाँ
मिल जाऊँ फिर से तुम को बस इतनी दुआ करो

ये दौर-ए-इश्तिहार है गर कुछ न कर सको
ख़ुद अपने मुँह से तुम मियाँ-मिठ्ठू बना करो

इस दश्त-ए-बे-हिसी में सुनेगा तुम्हारी कौन
मुर्दे हैं सब यहाँ न यहाँ पर सदा करो