EN اردو
अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो | शाही शायरी
achchha sa koi sapna dekho aur mujhe dekho

ग़ज़ल

अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो

सरवत हुसैन

;

अच्छा सा कोई सपना देखो और मुझे देखो
जागो तो आईना देखो और मुझे देखो

सोचो ये ख़ामोश मुसाफ़िर क्यूँ अफ़्सुर्दा है
जब भी तुम दरवाज़ा देखो और मुझे देखो

सुब्ह के ठंडे फ़र्श पे गूँजा उस का एक सुख़न
किरनों का गुलदस्ता देखो और मुझे देखो

बाज़ू हैं या दो पतवारें नाव पे रक्खी हैं
लहरें लेता दरिया देखो और मुझे देखो

दो ही चीज़ें इस धरती में देखने वाली हैं
मिट्टी की सुंदरता देखो और मुझे देखो