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अब्र है अब्र है शराब शराब | शाही शायरी
abr hai abr hai sharab sharab

ग़ज़ल

अब्र है अब्र है शराब शराब

रज़ा अज़ीमाबादी

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अब्र है अब्र है शराब शराब
साक़िया साक़िया शिताब शिताब

नामा लिखता हूँ और कहे है शौक़
क़ासिदा क़ासिदा जवाब जवाब

यार बिन अपनी ज़िंदगी ऐ ख़िज़्र
मौत है मौत है अज़ाब अज़ाब

ये 'रज़ा' ने ग़ज़ल कही इस का
शाइराँ शाइराँ जवाब जवाब