अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं
तू नहीं है और तिरी धड़कनें मिरे साथ हैं
तू ने एक उम्र के बाद पूछा है हाल-ए-दिल
वही दर्द-ओ-ग़म वही हसरतें मिरे साथ हैं
तिरे साथ गुज़रे हसीन लम्हों की शोख़ियाँ
वही रंग-ओ-बू वही रौनक़ें मिरे साथ हैं
मिरे पाँव में हैं ज़मीन की सभी गर्दिशें
सभी आसमान की साज़िशें मिरे साथ हैं
मिरे ज़ेहन में हैं मोहब्बतों के वो रात दिन
वो अज़िय्यतें वो नवाज़िशें मिरे साथ हैं
जो बिछड़ते लम्हों 'शुमार' तू ने किए बहुत
वो तमाम शिकवे-शिकायतें मिरे साथ हैं
ग़ज़ल
अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं
अख्तर शुमार