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अबस क्यूँ उम्र सोने में गँवाया | शाही शायरी
abas kyun umr sone mein ganwaya

ग़ज़ल

अबस क्यूँ उम्र सोने में गँवाया

अलीमुल्लाह

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अबस क्यूँ उम्र सोने में गँवाया
जो कोई जागा सो अपने पिव को पाया

मुसाफ़िर राह पर सोना भला नहीं
जो कोई सोया वही हसरत लजाया

जतन होश्यार ले जा माल और धन
जहाँ में आ के तू जो कुछ कमाया

अगर कोई सो रहे रह में ख़तर के
गँवाया माल अपने को खपाया

'अलीमुल्लाह' सोता था ख़्वाब में मस्त
करीम अपना करम कर कर जगाया