अब उठाओ नक़ाब आँखों से
हम भी चुन लें गुलाब आँखों से
आप के पास मय के प्याले हैं
हम पिएँगे शराब आँखों से
लाख रोका तुम्हारे आँचल ने
हम ने देखा हिजाब आँखों से
उलझी उलझी है ज़ुल्फ़ सावन की
बरसा बरसा शबाब आँखों से
लोग करते हैं ख़्वाब की बातें
हम ने देखा है ख़्वाब आँखों से
आबरू रख लो आज मौसम की
मिल गया है जवाब आँखों से
ग़ज़ल
अब उठाओ नक़ाब आँखों से
साबिर दत्त