EN اردو
अब तो सोच लिया है यारो दिल का ख़ूँ हो जाने दूँ | शाही शायरी
ab to soch liya hai yaro dil ka KHun ho jaane dun

ग़ज़ल

अब तो सोच लिया है यारो दिल का ख़ूँ हो जाने दूँ

विश्वनाथ दर्द

;

अब तो सोच लिया है यारो दिल का ख़ूँ हो जाने दूँ
जिन लोगों ने दर्द दिया है मैं उन को अफ़्साने दूँ

और ज़रा सी देर में थक कर सो जाएँगे तारे भी
कब तक घायल होंटों को मैं गीत बिरह के गाने दूँ

अपने जुनूँ का सीना छलनी होने दूँ मैं कब तक और
इतने सारे फ़रज़ाने हैं किस किस को समझाने दूँ

कब तक वो मल्हार की तानें क़ैद में रक्खें देखूँ तो
अब तो दीपक राग अलापूँ और ख़ुद को जल जाने दूँ

मैं मजबूर अकेला राही लेकिन राहबर इतने हैं
किस किस की अगवाही मानूँ किस किस को बहकाने दूँ