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अब तक शरीक-ए-महफ़िल-ए-अग़्यार कौन है | शाही शायरी
ab tak sharik-e-mahfil-e-aghyar kaun hai

ग़ज़ल

अब तक शरीक-ए-महफ़िल-ए-अग़्यार कौन है

ज़ेहरा निगाह

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अब तक शरीक-ए-महफ़िल-ए-अग़्यार कौन है
हम बेवफ़ा हुए तो ख़ता-वार कौन है

याँ सब को मिल गए हैं सहारे ब-क़द्र-ए-शौक़
तुम सोचते रहे कि तलबगार कौन है

नज़रों ने किस की चाक किए पर्दा-हा-ए-रंग
सँवला दिया है जिस ने रुख़-ए-यार कौन है

दामन हज़ार चाक गरेबाँ हज़ार वा
ये देखना है कितना गुनाहगार कौन है