EN اردو
अब न हसरत न पास है दिल में | शाही शायरी
ab na hasrat na pas hai dil mein

ग़ज़ल

अब न हसरत न पास है दिल में

नादिर काकोरवी

;

अब न हसरत न पास है दिल में
कोई भी इस मकान में न रहा

क्या शिकायत जो कट गए गाहक
माल ही जब दुकान में न रहा

मर के रहना पड़ा अब उस में आह
जीते-जी जिस मकान में न रहा

'नादिर' अफ़्सोस क़दर-दान-ए-सुख़न
एक हिन्दोस्तान में न रहा