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अब मिरा दर्द न तेरा जादू | शाही शायरी
ab mera dard na tera jadu

ग़ज़ल

अब मिरा दर्द न तेरा जादू

हमीद नसीम

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अब मिरा दर्द न तेरा जादू
मर्ग-ए-अम्बोह में क्या मैं क्या तू

कोई आवाज़ न कोई लर्ज़िश
अज़ उफ़ुक़-ता-ब-उफ़ुक़ आलम-ए-हू

हल्क़ा-ए-दूद बपा मौज-ए-सबा
बुझ गई सीना-ए-गुल में ख़ुश्बू

बर्ग-ए-नौ-रस्ता हैं दस्त-ए-मज्ज़ूम
ज़हर शाख़ों में बनी मौज-ए-नुमू

राख का ढेर हैं वो लोग जो थे
गुल-बदन ग़ुंचा-दहन ग़ालिया-मू

वक़्त का मय-कदा तस्वीर-ए-सुकूत
संग बे-ज़र्ब तब आज़ुर्दा सुबू

तय हुआ मरहला-ए-बीम-ओ-रजा
नीस्त ही नीस्त है या-हू या-हू