अब के उस ने कमाल कर डाला
इक ख़ुशी से निढाल कर डाला
चाँद बन कर चमकने वाले ने
मुझ को सूरज-मिसाल कर डाला
पहले ग़म से निहाल करता था
अब ख़ुशी से निहाल कर डाला
इक हक़ीक़त के रूप में आ कर
मुझ को ख़्वाब-ओ-ख़याल कर डाला
दुख-भरे दिल से दुख ही छीन लिए
और जीना वबाल कर डाला
एक ख़ुश-ख़त से शख़्स ने 'हैदर'
हम को भी ख़ुश-ख़याल कर डाला
ग़ज़ल
अब के उस ने कमाल कर डाला
हैदर क़ुरैशी