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आवाज़ दे रही है ये किस की नज़र मुझे | शाही शायरी
aawaz de rahi hai ye kis ki nazar mujhe

ग़ज़ल

आवाज़ दे रही है ये किस की नज़र मुझे

क़मर जलालाबादी

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आवाज़ दे रही है ये किस की नज़र मुझे
शायद मिले किनारा वहीं डूब कर मुझे

चाहा तुझे तो ख़ुद से मोहब्बत सी हो गई
खोने के बाद मिल गई अपनी ख़बर मुझे

हर हर क़दम पे साथ हूँ साया हूँ मैं तिरा
ऐ बेवफ़ा दिखा तो ज़रा भूल कर मुझे

दुनिया को भूल कर तिरी दुनिया में आ गया
ले जा रहा है कौन इधर से उधर मुझे

दुनिया का हर नज़ारा निगाहों से छीन ले
कुछ देखना नहीं है तुझे देख कर मुझे