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आठ पहर है ये ही ग़म | शाही शायरी
aaTh pahar hai ye hi gham

ग़ज़ल

आठ पहर है ये ही ग़म

बुध प्रकाश गुप्ता जौहर देवबंद

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आठ पहर है ये ही ग़म
काम बहुत है वक़्त है कम

फ़ैज़ उठाएँ तुझ से ग़ैर
नाज़ उठाएँ तेरे हम

सर हो मेरा चौखट उन की
निकले तो यूँ निकले दम

जोबन तेरा है मय-ख़ाना
आँख हैं तेरी जाम-ए-जम

बढ़ता क़द जो तेरा देखे
उठती क़यामत जाए थम