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आता है कोई लुत्फ़ का सामाँ लिए हुए | शाही शायरी
aata hai koi lutf ka saman liye hue

ग़ज़ल

आता है कोई लुत्फ़ का सामाँ लिए हुए

बिल्क़ीस बेगम

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आता है कोई लुत्फ़ का सामाँ लिए हुए
होशियार ऐ ख़याल-ए-परेशाँ लिए हुए

उस से न इज़्तिराब-ए-मोहब्बत को पोछिए
जो जी रहा हो दर्द का एहसाँ लिए हुए

बेचैन करवटों से ये ज़ाहिर है साफ़ साफ़
पिन्हाँ ही दिल में है ग़म-ए-पिन्हाँ लिए हुए