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आश्नाई ब-ज़ोर नहिं होती | शाही शायरी
aashnai ba-zor nahin hoti

ग़ज़ल

आश्नाई ब-ज़ोर नहिं होती

आबरू शाह मुबारक

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आश्नाई ब-ज़ोर नहिं होती
मत करो शर्र-ओ-शोर नहिं होती

दोस्ती जो कि बे-तमअ हो है
ज़र अगर दो करोर नहिं होती

एक मरता हूँ तिस पे तू मत मर
गोर पर और गोर नहिं होती