आश्ना ग़म से मिला राहत से बेगाना मिला
दिल भी हम को ख़ूबी-ए-क़िस्मत से दीवाना मिला
बुलबुल-ओ-गुल शम-ओ-परवाना को हम पर रश्क है
दर्द जो हम को मिला सब से जुदा-गाना मिला
हम ने साक़ी को भी देखा पीर-ए-मय-ख़ाना को भी
कोई भी इन में न राज़-आगाह-ए-मय-ख़ाना मिला
सब ने दामन चाक रक्खा है ब-क़द्र-ए-एहतियाज
हम को दीवानों में भी कोई न दीवाना मिला
हम तो ख़ैर आशुफ़्ता-सामाँ हैं हमारा क्या सवाल
वो तो सँवरें जिन को आईना मिला शाना मिला
क्या क़यामत है कि ऐ 'आजिज़' हमें इस दौर में
तब्अ' शाहाना मिली मंसब फ़क़ीराना मिला
ग़ज़ल
आश्ना ग़म से मिला राहत से बेगाना मिला
कलीम आजिज़