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आशिक़ को तेरे लाख कोई रहनुमा मिले | शाही शायरी
aashiq ko tere lakh koi rahnuma mile

ग़ज़ल

आशिक़ को तेरे लाख कोई रहनुमा मिले

रसा रामपुरी

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आशिक़ को तेरे लाख कोई रहनुमा मिले
तेरा पता मिला है न तेरा पता मिले

तुम मुझ से आ मिले कभी दुश्मन से जा मिले
जब ये मिज़ाज है तो कोई तुम से क्या मिले

बा'द-ए-फ़ना भी ख़ैर से तन्हा नहीं हैं हम
बंदों से छुट गए तो फ़रिश्तों में आ मिले

जब दैर में ये देखा कि अपना गुज़र नहीं
काबे के जाने वालों में मजबूर जा मिले

देखो 'रसा' चले तो हो तुम तौबा तोड़ने
दर पर न मय-कदे के कोई पारसा मिले