EN اردو
आस हुस्न-ए-गुमान से टूटी | शाही शायरी
aas husn-e-guman se TuTi

ग़ज़ल

आस हुस्न-ए-गुमान से टूटी

रासिख़ इरफ़ानी

;

आस हुस्न-ए-गुमान से टूटी
शाख़ फल के निशान से टूटी

मिल गई ख़ाक हो के मिट्टी में
ईंट जो भी मकान से टूटी

अर्ज़-ए-अहवाल ना-शनासों से
रग अना की ज़बान से टूटी

जिस पे दार-ओ-मदार-ए-कश्ती था
डोर वो बादबान से टूटी

मसअले दोस्ती के हल न हुए
गुफ़्तुगू दरमियान से टूटी

दस्त-ए-दुश्मन से तीर क्या छूटा
एक बिजली कमान से टूटी

बाब किरनों के खुल गए 'रासिख़'
सद्द-ए-ज़ुल्मत अज़ान से टूटी