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आरज़ूएँ कमाल-आमादा | शाही शायरी
aarzuen kamal-amada

ग़ज़ल

आरज़ूएँ कमाल-आमादा

हनीफ़ कैफ़ी

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आरज़ूएँ कमाल-आमादा
ज़िंदगानी ज़वाल-आमादा

ज़िंदगी तिश्ना-ए-मजाल-ए-जवाब
लम्हा लम्हा सवाल-आमादा

ज़ख़्म खा कर बिफर रही है अना
आजिज़ी है जलाल-आमादा

कैसे हमवार हो निबाह की राह
दिल मुख़ालिफ़ ख़याल आमादा

फिर कोई निश्तर-आज़मा हो जाए
ज़ख़्म हैं इंदिमाल-आमादा

हर क़दम फूँक फूँक कर रखिए
रहगुज़र है जिदाल-आमादा

हर नफ़स ज़र्फ़-आज़मा 'कैफ़ी'
हर नज़र इश्तिआल-आमादा