EN اردو
आरज़ू और ख़्वाब ले जाओ | शाही शायरी
aarzu aur KHwab le jao

ग़ज़ल

आरज़ू और ख़्वाब ले जाओ

मीनाक्षी जिजीविषा

;

आरज़ू और ख़्वाब ले जाओ
हर अमानत जनाब ले जाओ

हिज्र हम से सहा न जाएगा
साथ अपने अज़ाब ले जाओ

काम आएँगी तजरबे के लिए
ज़िंदगी की किताब ले जाओ

आप से जो भी ख़ार खाते हैं
उन की ख़ातिर गुलाब ले जाओ

हर अँधेरे में काम आएगा
इल्म का आफ़्ताब ले जाओ

आप को दे रहे हैं दिल अपना
अच्छा है या ख़राब ले जाओ

एक दरवेश की है ये कुटिया
तुम मिज़ाज-ए-नवाब ले जाओ

सब के होंटों पे क़ुफ़्ल लग जाए
कोई ऐसा जवाब ले जाओ

लोग चेहरों पे चेहरे रखते हैं
तुम भी कोई नक़ाब ले जाओ

ये अदब की दुकान है साहब
जो भी चाहो ख़िताब ले जाओ

जिस जगह हो अकाल सूखे से
उस जगह जल सहाब ले जाओ

दिल जिगर जान सब तुम्हारे हैं
जब भी चाहो जनाब ले जाओ

इश्क़ की ये किताब ले जाओ
इस का हर एक बाब ले जाओ

कैसे काटोगे दिन जुदाई के
साथ याद-ए-रबाब ले जाओ

याद के ज़ख़्म का है ये मरहम
तुम वतन की तुराब ले जाओ

ख़ुश रखे आप को ख़ुदा हर पल
मुफ़्लिसी का सवाब ले जाओ

कैसे काटे हैं दिन जुदाई के
हर नफ़स का हिसाब ले जाओ

नन्हे-मुन्नों को खेलने भी दो
बोझ है ये निसाब ले जाओ

हर ग़लत बात भी सहा न करो
हम से थोड़ा इताब ले जाओ