आप तो घबरा गए बेताबी-ए-दिल देख कर
क्या कहेंगे बंदा-परवर अहल-ए-महफ़िल देख कर
मैं तो हूँ परवर्दा-ए-आग़ोश-ए-तूफ़ान-ए-फ़ना
ख़ुद डुबो देता हूँ कश्ती क़ुर्ब साहिल देख कर
इक निगाह-ए-लुत्फ़ की मुहताज है तामीर-ए-इश्क़
आप क्यूँ घबरा गए टूटा हुआ दिल देख कर
वो भी 'नख़शब' बे-ख़ुदी-ए-दिल से आसाँ हो गया
दर्द जो बख़्शा गया था हम को मुश्किल देख कर
ग़ज़ल
आप तो घबरा गए बेताबी-ए-दिल देख कर
नख़्शब जार्चवि