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आप से झुक के जो मिलता होगा | शाही शायरी
aap se jhuk ke jo milta hoga

ग़ज़ल

आप से झुक के जो मिलता होगा

वकील अख़्तर

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आप से झुक के जो मिलता होगा
उस का क़द आप से ऊँचा होगा

नुक्ता-चीनों पे जो हँसता होगा
उस को अपने पे भरोसा होगा

वो जो वीरान फिरा करता है
उस के सर में कोई सहरा होगा

तुम न समझोगे मिरी बात मगर
सोचने वाला समझता होगा

वो जो मरने पे तुला है 'अख़्तर'
उस ने जी कर भी तो देखा होगा