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आप को अपना बनाते हुए डर लगता है | शाही शायरी
aapko apna banate hue Dar lagta hai

ग़ज़ल

आप को अपना बनाते हुए डर लगता है

अनवर ताबाँ

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आप को अपना बनाते हुए डर लगता है
दिल की दुनिया भी बसाते हुए डर लगता है

लग न जाए कहीं इन फूलों को दुनिया की नज़र
दाग़-ए-दिल अपने दिखाते हुए डर लगता है

हो न जाए कहीं हंगामा-ए-मशहर बरपा
अपनी रूदाद सुनाते हुए डर लगता है

तपिश-ए-हुस्न न परवाना बना दे मुझ को
उस के नज़दीक भी जाते हुए डर लगता है

ग़र्क़ हो जाए न दुनिया-ए-तसव्वुर अपनी
अश्क-ए-ग़म आँख में लाते हुए डर लगता है

शग़्ल था दश्त-नवर्दी का कभी ऐ 'ताबाँ'
अब गुलिस्ताँ में भी जाते हुए डर लगता है