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आप की ख़ामोशी से दिल अब तो | शाही शायरी
aap ki KHamoshi se dil ab to

ग़ज़ल

आप की ख़ामोशी से दिल अब तो

ज्योती आज़ाद खतरी

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आप की ख़ामोशी से दिल अब तो
भर गया बे-रुख़ी से दिल अब तो

ऊबने लग गया है जाने क्यूँ
चाँद से चाँदनी से दिल अब तो

दर्द में लुत्फ़ है अता कर और
बोल दे ज़िंदगी से दिल अब तो

इक नया ऐप ढूँढना होगा
भर गया एफ़ बी से दिल अब तो

दर-ब-दर और कितना होना है
पूछ आवारगी से दिल अब तो

'ज्योति' डरने लगा है जाने क्यूँ
अपनी शाइस्तगी से दिल अब तो