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आप की गर मेहरबानी हो चुकी | शाही शायरी
aap ki gar mehrbani ho chuki

ग़ज़ल

आप की गर मेहरबानी हो चुकी

मिर्ज़ा शौक़ लखनवी

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आप की गर मेहरबानी हो चुकी
तो हमारी ज़िंदगानी हो चुकी

बैठ कर उठ्ठे न कू-ए-यार से
इंतिहा-ए-नातवानी हो चुकी

हँस दिया रोने पे वो ऐ चश्म-ए-तर
आबरू अश्कों की पानी हो चुकी