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आप करिश्मा-साज़ हुए हैं होश में है दीवाना भी | शाही शायरी
aap karishma-saz hue hain hosh mein hai diwana bhi

ग़ज़ल

आप करिश्मा-साज़ हुए हैं होश में है दीवाना भी

आबिद नामी

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आप करिश्मा-साज़ हुए हैं होश में है दीवाना भी
हुस्न-ए-अदा है नाम उसी का हैराँ है परवाना भी

वक़्त ने ऐसी करवट बदली फूल खिले बस्ती उजड़ी
वहशत का वो ज़ोर बढ़ा आबाद हुआ वीराना भी

रात की महफ़िल-आराई का पिछले पहर अहवाल न पूछ
शम्अ की लौ भी सर्द पड़ी थी राख हुआ परवाना भी

तन्हाई से घबरा कर हम क्या क्या शिकवे करते थे
लेकिन जब से आप मिले हैं दोस्त हुआ बेगाना भी

दम के दम में दुनिया बदली भीड़ छटी कोहराम उठा
चलते चलते साँस रुकी और ख़त्म हुआ अफ़्साना भी

मैं भी सज्दा कर लूँ 'नामी' लेकिन दिल को धड़कन है
क्या ये वही काबा तो नहीं जो कल तक था बुत-ख़ाना भी