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आप भी रेत का मल्बूस पहन कर देखें | शाही शायरी
aap bhi ret ka malbus pahan kar dekhen

ग़ज़ल

आप भी रेत का मल्बूस पहन कर देखें

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

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आप भी रेत का मल्बूस पहन कर देखें
हम वो प्यासे हैं न सहरा न समुंदर देखें

इक ज़रा ढेर में कूड़े के भी छुप कर देखें
लोग हीरा हमें समझे हैं कि पत्थर देखें

हम में जो शख़्स है उस से नहीं बनती अपनी
अब तो रहने के लिए और कोई घर देखें

शोर बे-सम्त सदाओं का कुछ ऐसा है कि हम
अपने अंदर कभी झांकें कभी बाहर देखें