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आओ तक़दीर को तदबीर बना कर देखें | शाही शायरी
aao taqdir ko tadbir bana kar dekhen

ग़ज़ल

आओ तक़दीर को तदबीर बना कर देखें

बख़्तियार ज़िया

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आओ तक़दीर को तदबीर बना कर देखें
इन अँधेरों को उजालों से मिला कर देखें

आज ज़ालिम को भी मजबूर बना कर देखें
हश्र से पहले ही इक हश्र उठा कर देखें

इन बुतों से तो कोई काम न निकला अपना
ख़ैर अब यूँही सही याद-ए-ख़ुदा कर देखें

चाँद-तारों में जो आबाद हुए जाते हैं
वो किसी दिल में भी घर अपना बना कर देखें

कौन अपना है यहाँ कौन है बेगाना 'ज़िया'
धज्जियाँ हम भी तो दामन की उड़ा कर देखें