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आँसुओं से ख़ून के अजज़ा बदलते जाएँगे | शाही शायरी
aansuon se KHun ke ajza badalte jaenge

ग़ज़ल

आँसुओं से ख़ून के अजज़ा बदलते जाएँगे

नातिक़ लखनवी

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आँसुओं से ख़ून के अजज़ा बदलते जाएँगे
दिल के सब अरमान आँखों से निकलते जाएँगे

इक क़यामत है इबारत वादा-ए-दीदार की
दिन गुज़रते जाएँगे मानी बदलते जाएँगे

हर नफ़स है शम्मा-ए-ग़म का शोला मैं जो कुछ कहूँ
मिस्ल-ए-परवाना मेरे अल्फ़ाज़ जलते जाएँगे

है दिगर-गूँ हाल-ए-दिल क़ासिद हमें भी साथ ले
जा-ब-जा ख़त की इबारत हम बदलते जाएँगे

इश्क़ की वादी में 'नातिक़' गिर के मरना है ज़रूर
हर क़दम पे कब तक आख़िर हम सँभलते जाएँगे