आँखों में अगर आप की सूरत नहीं होती
इस दिल में मोहब्बत किसी सूरत नहीं होती
जब तक पस-ए-पर्दा वो छुपे बैठे रहेंगे
कुछ भी यहाँ हो जाए क़यामत नहीं होती
देखे जो तुझे लोग तो समझे मिरे अशआ'र
लफ़्ज़ों से तो शे'रों की वज़ाहत नहीं होती
क्या और कोई काम करे छोड़िए साहब
बेकारी से दुनिया में फ़राग़त नहीं होती
शहरों के तसव्वुर से भी घबराने लगा दिल
सहरा में चले जाओ तो वहशत नहीं होती
उस उम्र में बढ़ जाते हैं मेहनत के तक़ाज़े
जिस उम्र में इंसान से मेहनत नहीं होती
होती थी हर एक बात पे हैरत मुझे पहले
अब मुझ को किसी बात पे हैरत नहीं होती
बर्बाद 'अबद' हम को मुरव्वत ने किया है
सब होता जो आँखों में मुरव्वत नहीं होती
ग़ज़ल
आँखों में अगर आप की सूरत नहीं होती
सरफ़राज़ अबद