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आँखों देखी बात कहानी लगती है | शाही शायरी
aankhon dekhi baat kahani lagti hai

ग़ज़ल

आँखों देखी बात कहानी लगती है

शाहिद माहुली

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आँखों देखी बात कहानी लगती है
नई नई सी रीत पुरानी लगती है

दश्त-नवर्दी लगती है सौग़ात तिरी
शब-बेदारी कोई निशानी लगती है

ताशों का था खेल सुहाना बचपन का
छू-मंतर सी भरी जवानी लगती है

शाम हुई तो काले साए उमड पड़े
सुब्ह को तो हर चीज़ सुहानी लगती है

मरियम जैसी धुली धुली इक मूरत सी
मेरा जैसी कोई दिवानी लगती है

चेहरा आँखें होंट तुम्हारे जैसे हैं
सूरत फिर भी क्यूँ अनजानी लगती है

टूटे जैसे कोई खिलौना मिट्टी का
पत्थर जैसी सख़्त जवानी लगती है