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आँख से बिछड़े काजल को तहरीर बनाने वाले | शाही शायरी
aankh se bichhDe kajal ko tahrir banane wale

ग़ज़ल

आँख से बिछड़े काजल को तहरीर बनाने वाले

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

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आँख से बिछड़े काजल को तहरीर बनाने वाले
मुश्किल में पड़ जाएँगे तस्वीर बनाने वाले

ये दीवाना-पन तो रहेगा दश्त के साथ सफ़र में
साए में सो जाएँगे ज़ंजीर बनाने वाले

उस ने तो देखे अन-देखे ख़्वाब सभी लौटाए
और थे शायद टूटी हुई ताबीर बनाने वाले

सोने की दीवार से आगे मेरे काम न आए
सच्चे जज़्बे मिट्टी को इक्सीर बनाने वाले

जुज्व-ए-शेर नहीं हैं 'क़ासिर' जुज़्व-ए-जाँ कर डाले
हम को जितने दर्द मिले थे 'मीर' बनाने वाले