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आख़िरी ख़त मुझे मिला तेरा | शाही शायरी
aaKHiri KHat mujhe mila tera

ग़ज़ल

आख़िरी ख़त मुझे मिला तेरा

आरिफ़ इशतियाक़

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आख़िरी ख़त मुझे मिला तेरा
आह लिख कर न दिल दुखा तेरा

इतनी उजलत में इज़्न-ए-रुख़्सत ली
हाए अल्लाह करे बुरा तेरा

बा'द तेरे तो मैं हुआ बरबाद
अब तजस्सुस है क्या हुआ तेरा

रात काटी तो फिर सपीदा-दम
दर्द कुछ और था सिवा तेरा

कोई हसरत ही अब नहीं जी में
नीम-बिस्मिल को शौक़ क्या तेरा