आख़िर इक दिन सब को मरना होता है
यानी मिस्रा पूरा करना होता है
मैं दरिया की गहराई तक जाता हूँ
मैं ने कौन सा पार उतरना होता है
अपने आँसू आप ही रोना होते हैं
अपना घाव आप ही भरना होता है
इस सहरा को पंछी पूजने आते हैं
जिस सहरा के दिल में झरना होता है
हम तो ज़मीं पर रेंगने वाले कीड़े हैं
हम ने कब हिजरत से डरना होता है
उड़ने वाले कैसे भूल गए 'आमी'
पाँव आख़िर ख़ाक पे धरना होता है
ग़ज़ल
आख़िर इक दिन सब को मरना होता है
इमरान आमी