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आज यादों ने अजब रंग बिखेरे दिल में | शाही शायरी
aaj yaadon ne ajab rang bikhere dil mein

ग़ज़ल

आज यादों ने अजब रंग बिखेरे दिल में

अब्दुर रऊफ़ उरूज

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आज यादों ने अजब रंग बिखेरे दिल में
मुस्कुराते हैं सर-ए-शाम सवेरे दिल में

ये तबस्सुम का उजाला ये निगाहों की सहर
लोग यूँ भी तो छुपाते हैं अंधेरे दिल में

सूरत-ए-बाद-ए-सबा क़ाफ़िला-ए-याद आया
ज़ख़्म-दर-ज़ख़्म खिले फूल से मेरे दिल में

यास की रात कटी आस का सूरज चमका
फिर भी चमके न किसी रोज़ सवेरे दिल में

इक मिरी वहशत-ए-बे-नाम पे इस तरह न सोच
कितनी बातें हैं जो खटकी नहीं तेरे दिल में

ध्यान की शम्अ की लौ तेज़ भी कर देते हैं
अक्सर औक़ात तिरी याद के फेरे दिल में

न मिली फ़ुर्सत-ए-आसाइश-ए-ताबीर-ए-उरूज
एक मुद्दत से हैं ख़्वाबों के बसेरे दिल में