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आज सितारे आँगन में हैं उन को रुख़्सत मत करना | शाही शायरी
aaj sitare aangan mein hain un ko ruKHsat mat karna

ग़ज़ल

आज सितारे आँगन में हैं उन को रुख़्सत मत करना

क़मर जमील

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आज सितारे आँगन में हैं उन को रुख़्सत मत करना
शाम से मैं भी उलझन में हूँ तुम भी ग़फ़लत मत करना

हर आँगन में दिए जलाना हर आँगन में फूल खिलाना
इस बस्ती में सब कुछ करना हम से मोहब्बत मत करना

अजनबी मुल्कों अजनबी लोगों में आ कर मालूम हुआ
देखना सारे ज़ुल्म वतन में लेकिन हिजरत मत करना

उस की याद में दिन भर रहना आँसू रोके चुप साधे
फिर भी सब से बातें करना उस की शिकायत मत करना