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आज फिर उस दिल-नशीं पर आ गया है | शाही शायरी
aaj phir us dil-nashin par aa gaya hai

ग़ज़ल

आज फिर उस दिल-नशीं पर आ गया है

अब्दुर्रहमान मोमिन

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आज फिर उस दिल-नशीं पर आ गया है
दिल जहाँ था फिर वहीं पर आ गया है

एक शहज़ादे ख़ुदा के आसरे पर
कूफ़ियों की सरज़मीं पर आ गया है

सर निगूँ जब से किया है तेरे आगे
आसमाँ मेरी जबीं पर आ गया है

वो जो कल तक हाँ में हाँ करता था मेरी
आज तो वो भी नहीं पर आ गया है

ख़्वाब में इबलीस ने आ कर बताया
आदमी आदम के दीं पर आ गया है

तुझ से पहले भी मकाँ ख़ाली नहीं था
तू मगर इस के मकीं पर आ गया है

मुझ से 'मोमिन' का पता क्या पूछते हो
आँख खोलो वो यहीं पर आ गया है