आज फिर उस दिल-नशीं पर आ गया है
दिल जहाँ था फिर वहीं पर आ गया है
एक शहज़ादे ख़ुदा के आसरे पर
कूफ़ियों की सरज़मीं पर आ गया है
सर निगूँ जब से किया है तेरे आगे
आसमाँ मेरी जबीं पर आ गया है
वो जो कल तक हाँ में हाँ करता था मेरी
आज तो वो भी नहीं पर आ गया है
ख़्वाब में इबलीस ने आ कर बताया
आदमी आदम के दीं पर आ गया है
तुझ से पहले भी मकाँ ख़ाली नहीं था
तू मगर इस के मकीं पर आ गया है
मुझ से 'मोमिन' का पता क्या पूछते हो
आँख खोलो वो यहीं पर आ गया है
ग़ज़ल
आज फिर उस दिल-नशीं पर आ गया है
अब्दुर्रहमान मोमिन