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आज कल आप साथ चलते नहीं | शाही शायरी
aaj kal aap sath chalte nahin

ग़ज़ल

आज कल आप साथ चलते नहीं

मदन पाल

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आज कल आप साथ चलते नहीं
इस लिए लोग हम से जलते नहीं

कैसे ग़ज़लों की रुत जवाँ होगी
जब निगाहों के तीर चलते नहीं

तुम को दुनिया कहेगी दीवाना
रुत बदलती है तुम बदलते नहीं

शहरों शहरों हमारा चेहरा है
और हम घर से भी निकलते नहीं