आज दिस्ता है हाल कुछ का कुछ
क्यूँ न गुज़रे ख़याल कुछ का कुछ
दिल-ए-बे-दिल कूँ आज करती है
शोख़ चंचल की चाल कुछ का कुछ
मुजको लगता है ऐ परी-पैकर
आज तेरा जमाल कुछ का कुछ
असर-ए-बादा-ए-जवानी है
कर गया हूँ सवाल कुछ का कुछ
ऐ 'वली' दिल कूँ आज करती है
बू-ए-बाग़-ए-विसाल कुछ का कुछ
ग़ज़ल
आज दिस्ता है हाल कुछ का कुछ
वली मोहम्मद वली