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आज दीवाने को बे-वज्ह सताया जाए | शाही शायरी
aaj diwane ko be-wajh sataya jae

ग़ज़ल

आज दीवाने को बे-वज्ह सताया जाए

सरवर नेपाली

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आज दीवाने को बे-वज्ह सताया जाए
फूल ताज़ा कोई बालों में लगाया जाए

मैं सर-ए-आम पढ़ूँ कोई ग़ज़ल लोगों में
उन की जानिब ही फ़क़त मेरा इशारा जाए

पास हैं वो दिल-ए-बीमार दुआ-गो है अजब
दर्द जाए न मिरा न ही मसीहा जाए

फ़ैसला हस्ब-ए-तबीअत ये मोहब्बत ने किया
इक तरह ग़म हो सलामत ग़म-ए-दुनिया जाए

रोक लें आज तो शाहीन-ए-बुलंदी-ए-ख़याल
आज 'सरवर' के परों को चलो कतरा जाए