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आइए आसमाँ की ओर चलें | शाही शायरी
aaiye aasman ki or chalen

ग़ज़ल

आइए आसमाँ की ओर चलें

हनीफ़ तरीन

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आइए आसमाँ की ओर चलें
साथ ले कर ज़मीं का शोर चलें

चाँद उल्फ़त का इस्तिआरा है
जिस की जानिब सभी चकोर चलें

यूँ दबे पाँव आई तेरी याद
जैसे चुपके से शब में चोर चलें

दिल की दुनिया अजीब दुनिया है
अक़्ल के उस पे कुछ न ज़ोर चलें

सब्ज़-रुत छाई यूँ उन आँखों की
जिस तरह नाच नाच मोर चलें

तुम भी यूँ मुझ को आ के ले जाओ
जैसे ले कर पतंगें डोर चलें